भारत छोड़ो आंदोलन दिवस हमें उस समय की याद दिलाता है जब आजादी की लड़ाई अपने चरम पर थी। महात्मा गांधी द्वारा दिया गया ‘करो या मरो’ का नारा इस आंदोलन की आत्मा था। इसके माध्यम से भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति एक नया जोश और एकता का संचार हुआ था।
‘करो या मरो’ के नारे के पीछे जो भावना थी, वह सिर्फ राजनीतिक आजादी तक सीमित नहीं थी। इसका उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना था जो समावेशी और न्यायसंगत हो। आज, जब हम इस महत्वपूर्ण दिन को याद करते हैं, हमें यह भी सोचने की जरूरत है कि हम अपनी इस प्रतिबद्धता को कैसे निभा सकते हैं।
वर्तमान में एक मुक्त और न्यायसंगत समाज का निर्माण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ हमें यह याद दिलाता है कि हर नागरिक का दायित्व है कि वे अपने हिस्से का योगदान देकर एक बेहतर समाज की रचना करें।
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